चुटकियां।।
(१)
(१)
खामखा कुत्ते क्यों चिल्लाएं रात भर?
रहे ना दाँत के कीड़े टूटे हुए दाँत पर?
किसकी गलती से है पृथ्वी के दबे सर?
चल भाई सोचे दोनों छाँव में बैठकर।
(२)
अरे छी छी राम राम दैया रे दैया,
कलकत्ते में देखा हमार रमैया-
पहिनके मखमली टोपी और कुर्ता,
खाये पीये नाचे गाये सड़क में भैया!
(३)
जंगली गांव के पगले बुड्ढे मुझसे पूछे कल
ढाई बीघा समंदर में कितने फले कटहल?
मैंने कहा उसी अंदाज़ में, बताऊँ मैं कितने?
तेरे तुरई के खेत में मछली उगते जितने!
(४)
पता क्या बोल गया सीतानाथ दत्ता?
आसमान मँहकता दही जैसा खट्टा!
खट्टाई न रहती होने पर वर्षा,
देखा तब चाटकर मीठा शक्कर सा।
(५)
कहो भाई कहो रे, टेढ़ेमेढ़े गांव के
वैदलोग भर्ता आलू का नहीं खाते हैं,
लिखा है किताबों में आलू से खोपड़ी में
दिमाग न उपजे रे, भेजा सूख जाते हैं।
(६)
गगन में खिला इंद्रधनुष आज
देखें लोग छोड़कर सारे कामकाज।
तभी नकचढ़ा बूढ़ा ताना मारता है-
देखते क्या, यह रंग पक्का नहीं है।
- Translated by me from Sukumar Roy...
Original in Bengali:
'কেন সব কুকুরগুলো খামখা চেঁচায় রাতে-
কেন বল দাঁতের পোকা থাকেনা ফোক্লা দাঁতে?
পৃথিবীর চ্যাপ্টা মাথা কেন, সে কাদের দোষে?
এসো ভাই চিন্তা করি দুজনে ছায়ায় বসে ।'
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